तस्माद्यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वशः।

इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।2.68।।

tasmād yasya mahā-bāho nigṛihītāni sarvaśhaḥ indriyāṇīndriyārthebhyas tasya prajñā pratiṣhṭhitā

।।2.68।। इसलिये हे महाबाहो ! जिस मनुष्यकी इन्द्रियाँ इन्द्रियोंके विषयोंसे सर्वथा निगृहीत (वशमें की हुई) हैं, उसकी बुद्धि स्थिर है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण