या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी।

यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः।।2.69।।

yā niśhā sarva-bhūtānāṁ tasyāṁ jāgarti sanyamī yasyāṁ jāgrati bhūtāni sā niśhā paśhyato muneḥ

।।2.69।। सम्पूर्ण प्राणियों की जो रात (परमात्मासे विमुखता) है, उसमें संयमी मनुष्य जागता है, और जिसमें सब प्राणी जागते हैं (भोग और संग्रहमें लगे रहते हैं), वह तत्त्वको जाननेवाले मुनिकी दृष्टिमें रात है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण