श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।

स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।।3.35।।

śhreyān swa-dharmo viguṇaḥ para-dharmāt sv-anuṣhṭhitāt swa-dharme nidhanaṁ śhreyaḥ para-dharmo bhayāvahaḥ

।।3.35।। अच्छी तरह आचरणमें लाये हुए दूसरेके धर्मसे गुणोंकी कमीवाला अपना धर्म श्रेष्ठ है। अपने धर्ममें तो मरना भी कल्याणकारक है और दूसरेका धर्म भयको देनेवाला है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण