आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा।

कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च।।3.39।।

āvṛitaṁ jñānam etena jñānino nitya-vairiṇā kāma-rūpeṇa kaunteya duṣhpūreṇānalena cha

।।3.39।। और हे कुन्तीनन्दन ! इस अग्निके समान कभी तृप्त न होनेवाले और विवेकियोंके नित्य वैरी इस कामके द्वारा मनुष्यका विवेक ढका हुआ है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण