अर्जुन उवाच

हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते।

सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय मेऽच्युत।।1.21।।

arjuna uvācha senayor ubhayor madhye rathaṁ sthāpaya me ’chyuta

।।1.21 -- 1.22।। अर्जुन बोले - हे अच्युत! दोनों सेनाओं के मध्य में मेरे रथ को आप तब तक खड़ा कीजिये, जब तक मैं युद्धक्षेत्र में खड़े हुए इन युद्ध की इच्छावालों को देख न लूँ कि इस युद्धरूप उद्योग में मुझे किन-किन के साथ युद्ध करना योग्य है।

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