तद्बुद्धयस्तदात्मानस्तन्निष्ठास्तत्परायणाः।

गच्छन्त्यपुनरावृत्तिं ज्ञाननिर्धूतकल्मषाः।।5.17।।

tad-buddhayas tad-ātmānas tan-niṣhṭhās tat-parāyaṇāḥ gachchhantyapunar-āvṛittiṁ jñāna-nirdhūta-kalmaṣhāḥ

।।5.17।। जिनकी बुद्धि तदाकार हो रही है, जिनका मन तदाकार हो रहा है, जिनकी स्थिति परमात्मतत्वमें है, ऐसे परमात्मपरायण साधक ज्ञानके द्वारा पापरहित होकर अपुनरावृत्ति (परमगति) को प्राप्त होते हैं।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण