इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः।

निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद्ब्रह्मणि ते स्थिताः।।5.19।।

ihaiva tair jitaḥ sargo yeṣhāṁ sāmye sthitaṁ manaḥ nirdoṣhaṁ hi samaṁ brahma tasmād brahmaṇi te sthitāḥ

।।5.19।। जिनका अन्तःकरण समतामें स्थित है, उन्होंने इस जीवित-अवस्थामें ही सम्पूर्ण संसारको जीत लिया है; ब्रह्म निर्दोष और सम है, इसलिये वे ब्रह्ममें ही स्थित हैं।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण