योगिनामपि सर्वेषां मद्गतेनान्तरात्मना।

श्रद्धावान्भजते यो मां स मे युक्ततमो मतः।।6.47।।

yoginām api sarveṣhāṁ mad-gatenāntar-ātmanā śhraddhāvān bhajate yo māṁ sa me yuktatamo mataḥ

।।6.47।। सम्पूर्ण योगियोंमें भी जो श्रद्धावान् भक्त मुझमें तल्लीन हुए मनसे मेरा भजन करता है, वह मेरे मतमें सर्वश्रेष्ठ योगी है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण