अश्रद्दधानाः पुरुषा धर्मस्यास्य परन्तप।

अप्राप्य मां निवर्तन्ते मृत्युसंसारवर्त्मनि।।9.3।।

aśhraddadhānāḥ puruṣhā dharmasyāsya parantapa aprāpya māṁ nivartante mṛityu-samsāra-vartmani

।।9.3।। हे परंतप! इस धर्मकी महिमापर श्रद्धा न रखनेवाले मनुष्य मेरे प्राप्त न होकर मृत्युरूप संसारके मार्गमें लौटते रहते हैं अर्थात् बार-बार जन्मते-मरते रहते हैं।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण