मयाऽध्यक्षेण प्रकृतिः सूयते सचराचरम्।

हेतुनाऽनेन कौन्तेय जगद्विपरिवर्तते।।9.10।।

mayādhyakṣheṇa prakṛitiḥ sūyate sa-charācharam hetunānena kaunteya jagad viparivartate

।।9.10।। प्रकृति मेरी अध्यक्षतामें सम्पूर्ण चराचर जगत् को रचती है। हे कुन्तीनन्दन ! इसी हेतुसे जगत् का विविध प्रकारसे परिवर्तन होता है।

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