निहत्य धार्तराष्ट्रान्नः का प्रीतिः स्याज्जनार्दन।

पापमेवाश्रयेदस्मान्हत्वैतानाततायिनः।।1.36।।

nihatya dhārtarāṣhṭrān naḥ kā prītiḥ syāj janārdana pāpam evāśhrayed asmān hatvaitān ātatāyinaḥ

।।1.36।। हे जनार्दन! इन धृतराष्ट्र-सम्बन्धियों को मारकर हमलोगों को क्या प्रसन्नता होगी? इन आततायियों को मारने से तो हमें पाप ही लगेगा।

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