महर्षयः सप्त पूर्वे चत्वारो मनवस्तथा।

मद्भावा मानसा जाता येषां लोक इमाः प्रजाः।।10.6।।

maharṣhayaḥ sapta pūrve chatvāro manavas tathā mad-bhāvā mānasā jātā yeṣhāṁ loka imāḥ prajāḥ

।।10.6।। सात महर्षि और उनसे भी पूर्वमें होनेवाले चार सनकादि तथा चौदह मनु -- ये सब-के-सब मेरे मनसे पैदा हुए हैं और मेरेमें भाव (श्रद्धाभक्ति) रखनेवाले हैं, जिनकी संसारमें यह सम्पूर्ण प्रजा है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण