एतां विभूतिं योगं च मम यो वेत्ति तत्त्वतः।

सोऽविकम्पेन योगेन युज्यते नात्र संशयः।।10.7।।

etāṁ vibhūtiṁ yogaṁ cha mama yo vetti tattvataḥ so ’vikampena yogena yujyate nātra sanśhayaḥ

।।10.7।। जो मनुष्य मेरी इस विभूतिको और योगको तत्त्वसे जानता है अर्थात् दृढ़तापूर्वक मानता है, वह अविचल भक्तियोगसे युक्त हो जाता है; इसमें कुछ भी संशय नहीं है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण