भवाप्ययौ हि भूतानां श्रुतौ विस्तरशो मया।

त्वत्तः कमलपत्राक्ष माहात्म्यमपि चाव्ययम्।।11.2।।

bhavāpyayau hi bhūtānāṁ śhrutau vistaraśho mayā tvattaḥ kamala-patrākṣha māhātmyam api chāvyayam

।।11.2।। हे कमलनयन ! सम्पूर्ण प्राणियोंकी उत्पत्ति और प्रलय मैंने विस्तारपूर्वक आपसे ही सुना है और आपका अविनाशी माहात्म्य भी सुना है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण