तत्रैकस्थं जगत्कृत्स्नं प्रविभक्तमनेकधा।

अपश्यद्देवदेवस्य शरीरे पाण्डवस्तदा।।11.13।।

tatraika-sthaṁ jagat kṛitsnaṁ pravibhaktam anekadhā apaśhyad deva-devasya śharīre pāṇḍavas tadā

।।11.13।। उस समय अर्जुनने देवोंके देव भगवान् के उस शरीरमें एक जगह स्थित अनेक प्रकारके विभागोंमें विभक्त सम्पूर्ण जगत् को देखा।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण