अनादिमध्यान्तमनन्तवीर्य

मनन्तबाहुं शशिसूर्यनेत्रम्।

पश्यामि त्वां दीप्तहुताशवक्त्रम्

स्वतेजसा विश्वमिदं तपन्तम्।।11.19।।

स्वतेजसा विश्वमिदं तपन्तम् || 19||

।।11.19।। आपको मैं आदि, मध्य और अन्तसे रहित, अनन्त प्रभावशाली, अनन्त भुजाओंवाले, चन्द्र और सूर्यरूप नेत्रोवाले, प्रज्वलित अग्निके समान मुखोंवाले और अपने तेजसे संसारको संतप्त करते हुए देख रहा हूँ।

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