यथा नदीनां बहवोऽम्बुवेगाः

समुद्रमेवाभिमुखाः द्रवन्ति।

तथा तवामी नरलोकवीरा

विशन्ति वक्त्राण्यभिविज्वलन्ति।।11.28।।

yathā nadīnāṁ bahavo ’mbu-vegāḥ samudram evābhimukhā dravanti tathā tavāmī nara-loka-vīrā viśhanti vaktrāṇy abhivijvalanti

।।11.28।। जैसे नदियोंके बहुत-से जलके प्रवाह स्वाभाविक ही समुद्रके सम्मुख दौड़ते हैं, ऐसे ही वे संसारके महान् शूरवीर आपके प्रज्वलित मुखोंमें प्रवेश कर रहे हैं।

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