त्वमादिदेवः पुरुषः पुराण

स्त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम्।

वेत्तासि वेद्यं च परं च धाम

त्वया ततं विश्वमनन्तरूप।।11.38।।

tvam ādi-devaḥ puruṣhaḥ purāṇas tvam asya viśhvasya paraṁ nidhānam vettāsi vedyaṁ cha paraṁ cha dhāma tvayā tataṁ viśhvam ananta-rūpa

।।11.38।। आप ही आदिदेव और पुराणपुरुष हैं तथा आप ही इस संसारके परम आश्रय हैं। आप ही सबको जाननेवाले, जाननेयोग्य और परमधाम हैं। हे अनन्तरूप ! आपसे ही सम्पूर्ण संसार व्याप्त है।

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