श्री भगवानुवाचमय्यावेश्य मनो ये मां नित्ययुक्ता उपासते।श्रद्धया परयोपेतास्ते मे युक्ततमा मताः।।12.2।।

śhrī-bhagavān uvācha mayy āveśhya mano ye māṁ nitya-yuktā upāsate śhraddhayā parayopetās te me yuktatamā matāḥ

।।12.2।।मेरेमें मनको लगाकर नित्य-निरन्तर मेरेमें लगे हुए जो भक्त परम श्रद्धासे युक्त होकर मेरी उपासना करते हैं, वे मेरे मतमें सर्वश्रेष्ठ योगी हैं।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण