सर्वतः पाणिपादं तत्सर्वतोऽक्षिशिरोमुखम्।सर्वतः श्रुतिमल्लोके सर्वमावृत्य तिष्ठति।।13.14।।

sarvataḥ pāṇi-pādaṁ tat sarvato ’kṣhi-śhiro-mukham sarvataḥ śhrutimal loke sarvam āvṛitya tiṣhṭhati

।।13.14।।वे (परमात्मा) सब जगह हाथों और पैरोंवाले, सब जगह नेत्रों, सिरों और मुखोंवाले तथा सब जगह कानोंवाले हैं। वे संसारमें सबको व्याप्त करके स्थित हैं।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण