ध्यानेनात्मनि पश्यन्ति केचिदात्मानमात्मना।अन्ये सांख्येन योगेन कर्मयोगेन चापरे।।13.25।।

dhyānenātmani paśhyanti kechid ātmānam ātmanā anye sānkhyena yogena karma-yogena chāpare

।।13.25।।कई मनुष्य ध्यानयोगके द्वारा, कई सांख्ययोगके द्वारा और कई कर्मयोगके द्वारा अपने-आपसे अपने-आपमें परमात्मतत्त्वका अनुभव करते हैं।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण