समं पश्यन्हि सर्वत्र समवस्थितमीश्वरम्।न हिनस्त्यात्मनाऽऽत्मानं ततो याति परां गतिम्।।13.29।।

samaṁ paśhyan hi sarvatra samavasthitam īśhvaram na hinasty ātmanātmānaṁ tato yāti parāṁ gatim

।।13.29।।क्योंकि सब जगह समरूपसे स्थित ईश्वरको समरूपसे देखनेवाला मनुष्य अपने-आपसे अपनी हिंसा नहीं करता, इसलिये वह परमगतिको प्राप्त हो जाता है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण