इदं ज्ञानमुपाश्रित्य मम साधर्म्यमागताः।सर्गेऽपि नोपजायन्ते प्रलये न व्यथन्ति च।।14.2।।

idaṁ jñānam upāśhritya mama sādharmyam āgatāḥ sarge ’pi nopajāyante pralaye na vyathanti cha

।।14.2।।इस ज्ञानका आश्रय लेकर जो मनुष्य मेरी सधर्मताको प्राप्त हो गये हैं, वे महासर्गमें भी पैदा नहीं होते और महाप्रलयमें भी व्यथित नहीं होते।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण