कर्मणः सुकृतस्याहुः सात्त्विकं निर्मलं फलम्।रजसस्तु फलं दुःखमज्ञानं तमसः फलम्।।14.16।।

karmaṇaḥ sukṛitasyāhuḥ sāttvikaṁ nirmalaṁ phalam rajasas tu phalaṁ duḥkham ajñānaṁ tamasaḥ phalam

।।14.16।।(विवेकी पुरुषोंने) शुभ-कर्मका तो सात्त्विक निर्मल फल कहा है, राजस कर्मका फल दुःख कहा है और तामस कर्मका फल अज्ञान (मूढ़ता) कहा है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण