श्री भगवानुवाचऊर्ध्वमूलमधःशाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्।छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित्।।15.1।।

śhrī-bhagavān uvācha ūrdhva-mūlam adhaḥ-śhākham aśhvatthaṁ prāhur avyayam chhandānsi yasya parṇāni yas taṁ veda sa veda-vit

।।15.1।। श्रीभगवान् बोले -- ऊपरकी ओर मूलवाले तथा नीचेकी ओर शाखावाले जिस संसाररूप अश्वत्थवृक्षको अव्यय कहते हैं और वेद जिसके पत्ते हैं, उस संसारवृक्षको जो जानता है, वह सम्पूर्ण वेदोंको जाननेवाला है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण