अहिंसा सत्यमक्रोधस्त्यागः शान्तिरपैशुनम्।दया भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ह्रीरचापलम्।।16.2।।

ahinsā satyam akrodhas tyāgaḥ śhāntir apaiśhunam dayā bhūteṣhv aloluptvaṁ mārdavaṁ hrīr achāpalam

।।16.2।।अहिंसा, सत्यभाषण; क्रोध न करना; संसारकी कामनाका त्याग; अन्तःकरणमें राग-द्वेषजनित हलचलका न होना; चुगली न करना; प्राणियोंपर दया करना सांसारिक विषयोंमें न ललचाना; अन्तःकरणकी कोमलता; अकर्तव्य करनेमें लज्जा; चपलताका अभाव।

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