अनेकचित्तविभ्रान्ता मोहजालसमावृताः।प्रसक्ताः कामभोगेषु पतन्ति नरकेऽशुचौ।।16.16।।

aneka-citta-vibhrāntā moha-jāla-samāvṛtāḥ prasaktāḥ kāma-bhogeṣu patanti narake 'śucau

।।16.16।।कामनाओंके कारण तरह-तरहसे भ्रमित चित्तवाले, मोह-जालमें अच्छी तरहसे फँसे हुए तथा पदार्थों और भोगोंमें अत्यन्त आसक्त रहनेवाले मनुष्य भयङ्कर नरकोंमें गिरते हैं।

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