एतैर्विमुक्तः कौन्तेय तमोद्वारैस्त्रिभिर्नरः।आचरत्यात्मनः श्रेयस्ततो याति परां गतिम्।।16.22।।

etair vimuktaḥ kaunteya tamo-dvārais tribhir naraḥ ācharaty ātmanaḥ śhreyas tato yāti parāṁ gatim

।।16.22।।हे कुन्तीनन्दन ! इन नरकके तीनों दरवाजोंसे रहित हुआ जो मनुष्य अपने कल्याणका आचरण करता है, वह परमगतिको प्राप्त हो जाता है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण