सत्त्वानुरूपा सर्वस्य श्रद्धा भवति भारत।श्रद्धामयोऽयं पुरुषो यो यच्छ्रद्धः स एव सः।।17.3।।

sattvānurūpā sarvasya śhraddhā bhavati bhārata śhraddhā-mayo ‘yaṁ puruṣho yo yach-chhraddhaḥ sa eva saḥ

।।17.3।।हे भारत ! सभी मनुष्योंकी श्रद्धा अन्तःकरणके अनुरूप होती है। यह मनुष्य श्रद्धामय है। इसलिये जो जैसी श्रद्धावाला है, वही उसका स्वरूप है अर्थात् वही उसकी निष्ठा -- स्थिति है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण