तस्मादोमित्युदाहृत्य यज्ञदानतपःक्रियाः।प्रवर्तन्ते विधानोक्ताः सततं ब्रह्मवादिनाम्।।17.24।।

tasmād oṁ ity udāhṛitya yajña-dāna-tapaḥ-kriyāḥ pravartante vidhānoktāḥ satataṁ brahma-vādinām

।।17.24।।इसलिये वैदिक सिद्धान्तोंको माननेवाले पुरुषोंकी शास्त्रविधिसे नियत यज्ञ, दान और तपरूप क्रियाएँ सदा 'ऊँ' इस परमात्माके नामका उच्चारण करके ही आरम्भ होती हैं।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण