अनिष्टमिष्टं मिश्रं च त्रिविधं कर्मणः फलम्।भवत्यत्यागिनां प्रेत्य न तु संन्यासिनां क्वचित्।।18.12।।

aniṣhṭam iṣhṭaṁ miśhraṁ cha tri-vidhaṁ karmaṇaḥ phalam bhavaty atyāgināṁ pretya na tu sannyāsināṁ kvachit

।।18.12।।कर्मफलका त्याग न करनेवाले मनुष्योंको कर्मोंका इष्ट, अनिष्ट और मिश्रित -- ऐसे तीन प्रकारका फल मरनेके बाद भी होता है; परन्तु कर्मफलका त्याग करनेवालोंको कहीं भी नहीं होता।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण