यस्य नाहंकृतो भावो बुद्धिर्यस्य न लिप्यते।हत्वापि स इमाँल्लोकान्न हन्ति न निबध्यते।।18.17।।

yasya nāhankṛito bhāvo buddhir yasya na lipyate hatvā ‘pi sa imāl lokān na hanti na nibadhyate

।।18.17।।जिसका अहंकृतभाव नहीं है और जिसकी बुद्धि लिप्त नहीं होती, वह इन सम्पूर्ण प्राणियोंको मारकर भी न मारता है और न बँधता है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण