नियतं सङ्गरहितमरागद्वेषतः कृतम्।अफलप्रेप्सुना कर्म यत्तत्सात्त्विकमुच्यते।।18.23।।

niyataṁ saṅga-rahitam arāga-dveṣhataḥ kṛitam aphala-prepsunā karma yat tat sāttvikam uchyate

।।18.23।।जो कर्म शास्त्रविधिसे नियत किया हुआ और कर्तृत्वाभिमानसे रहित हो तथा फलेच्छारहित मनुष्यके द्वारा बिना राग-द्वेषके किया हुआ हो, वह सात्त्विक कहा जाता है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण