स्वे स्वे कर्मण्यभिरतः संसिद्धिं लभते नरः।स्वकर्मनिरतः सिद्धिं यथा विन्दति तच्छृणु।।18.45।।

sve sve karmaṇy abhirataḥ sansiddhiṁ labhate naraḥ sva-karma-nirataḥ siddhiṁ yathā vindati tach chhṛiṇu

।।18.45।।अपने-अपने कर्ममें तत्परतापूर्वक लगा हुआ मनुष्य सम्यक् सिद्धि-(परमात्मा-)को प्राप्त कर लेता है। अपने कर्ममें लगा हुआ मनुष्य जिस प्रकार सिद्धिको प्राप्त होता है? उस प्रकारको तू मेरेसे सुन।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण