न जायते म्रियते वा कदाचि

न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।

अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो

न हन्यते हन्यमाने शरीरे।।2.20।।

na jāyate mriyate vā kadāchin nāyaṁ bhūtvā bhavitā vā na bhūyaḥ ajo nityaḥ śhāśhvato ’yaṁ purāṇo na hanyate hanyamāne śharīre

।।2.20।। यह शरीरी न कभी जन्मता है और न मरता है तथा यह उत्पन्न होकर फिर होनेवाला नहीं है। यह जन्मरहित, नित्य-निरन्तर रहनेवाला, शाश्वत और पुराण (अनादि) है। शरीरके मारे जानेपर भी यह नहीं मारा जाता।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण