अव्यक्तादीनि भूतानि व्यक्तमध्यानि भारत।

अव्यक्तनिधनान्येव तत्र का परिदेवना।।2.28।।

avyaktādīni bhūtāni vyakta-madhyāni bhārata avyakta-nidhanānyeva tatra kā paridevanā

।।2.28।। हे भारत ! सभी प्राणी जन्मसे पहले अप्रकट थे और मरनेके बाद अप्रकट हो जायँगे, केवल बीचमें ही प्रकट दीखते हैं। अतः इसमें शोक करनेकी बात ही क्या है?

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण