वक्त्राणि ते त्वरमाणा विशन्ति

दंष्ट्राकरालानि भयानकानि।

केचिद्विलग्ना दशनान्तरेषु

संदृश्यन्ते चूर्णितैरुत्तमाङ्गैः।।11.27।।

vaktrāṇi te tvaramāṇā viśanti daṁṣṭrā-karālāni bhayānakāni kecid vilagnā daśanāntareṣu sandṛśyante cūrṇitair uttamāṅgaiḥ

।।11.26 -- 11.27।। हमारे मुख्य योद्धाओंके सहित भीष्म, द्रोण और वह कर्ण भी आपमें प्रविष्ट हो रहे हैं। राजाओंके समुदायोंके सहित धृतराष्ट्रके वे ही सब-के-सब पुत्र आपके विकराल दाढ़ोंके कारण भयंकर मुखोंमें बड़ी तेजीसे प्रविष्ट हो रहे हैं। उनमेंसे कईएक तो चूर्ण हुए सिरोंसहित आपके दाँतोंके बीचमें फँसे हुए दीख रहे हैं।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण