प्रकृत्यैव च कर्माणि क्रियमाणानि सर्वशः।यः पश्यति तथाऽऽत्मानमकर्तारं स पश्यति।।13.30।।

prakṛityaiva cha karmāṇi kriyamāṇāni sarvaśhaḥ yaḥ paśhyati tathātmānam akartāraṁ sa paśhyati

।।13.30।।जो सम्पूर्ण क्रियाओंको सब प्रकारसे प्रकृतिके द्वारा ही की जाती हुई देखता है और अपने-आपको अकर्ता देखता (अनुभव करता) है, वही यथार्थ देखता है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण