अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च।

नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः।।2.24।।

achchhedyo ’yam adāhyo ’yam akledyo ’śhoṣhya eva cha nityaḥ sarva-gataḥ sthāṇur achalo ’yaṁ sanātanaḥ

।।2.24।। यह शरीरी काटा नहीं जा सकता, यह जलाया नहीं जा सकता, यह गीला नहीं किया जा सकता और यह सुखाया भी नहीं जा सकता। कारण कि यह नित्य रहनेवाला सबमें परिपूर्ण, अचल, स्थिर स्वभाववाला और अनादि है।

Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण